March 18, 2023

महाराष्ट्र में तख्ता पलट हो ही गया। शिव सेना के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे बागी विधायक सदस्यों की मदद से भाजपा के साथ सरकार बनाने में सफल हो गये। भाजपा ने सभी को चौंकाते हुए देवेंद्र फडणवीस को उप मुख्यमंत्री पद ग्रहण करने तथा मुख्यमंत्री पद एकनाथ शिंदे को देने का फैसला किया। सियासी पंडितो द्वारा इस दांव के कई मायने निकाले जा रहे हैं।
कल जब सरकार के फ्लोर टेस्ट की बात हुई और सर्वोच्च न्यायालय से कोई राहत मिलती नहीं दिखी तो उद्धव ठाकरे ने फेसबुक पर लाइव आकर CM के पद से इस्तीफे का एलान कर दिया। महाराष्ट्र में 21 जून उठे इस सियासी संकट के बीच एक फ़िल्म है जो इस समय काफी चर्चा में है। इस फिल्म का नाम है “धर्मवीर”

धर्मवीर एक मराठी फिल्म है। यह फ़िल्म इसी साल मई में रिलीज हुई है। दरअसल इस फ़िल्म का मुख्य किरदार दिग्गज शिव सेना नेता आनंद दिघे से प्रेरित है। आनंद दिघे ठाणे के लोगों के बीच एक खास अहमियत रखते हैं। यह बात तो हम सभी जानते हैं कि आनंद दिघे को एकनाथ शिंदे अपना गुरु मानते हैं। अब जब उद्धव ठाकरे के इस्तीफे के बाद एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के CM के तौर पर कुर्सी संभालेंगे तो ऐसे में मई माह में अपनी रिलीज़ से ही चर्चा में रही “धर्मवीर” के बारे में लोगों की दिलचस्पी और भी बढ़ गयी है।

दिघे थे ठाणे-पालघर-रायगढ़ बेल्ट के दूसरे ठाकरे

इस फ़िल्म में ठाकरे और दिघे के आपसी संबंधों को भी दर्शाया गया है। राजनीतिक विश्लेषक प्रकाश अकोलकर की मानें तो “आनंद दिघे शिवसेना के सबसे शक्तिशाली नेताओं में से एक थे, वे शक्तिशाली, वफादार और प्रतिष्ठित थे। यह कहना गलत नहीं होगा कि आनंद दिघे ठाणे-पालघर-रायगढ़ बेल्ट में बालासाहेब ठाकरे थे।” इस फ़िल्म में यह दर्शाया गया है कि आनंद दिघे बाल ठाकरे को पूजनीय मानते थे। हालाँकि दिघे और ठाकरे में कई बार अनबन भी होती रहती थी। फ़िल्म में एक खास सीन है गुरु पूर्णिमा का। इसमें दिघे ठाकरे के पैर छूकर आशीर्वाद लेने के लिए जाते हैं तो ठाकरे उन पर नाराज होकर कहते हैं कि तुम मेरी बात क्यों नहीं मानते हो। हालांकि इसके बाद दिघे माफी मांग लेते हैं और गुरु पूर्णिमा मनाते हैं। अगर हम फ़िल्म की स्टोरी देखें तो इसमें यह दर्शाया गया है कि दिघे ठाकरे को गुरु समझते थे और उनके भक्त थे, ठीक इसी तरह एकनाथ शिंदे भी आनंद दिघे को अपना गुरु मानते हैं और इस फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग में उद्धव और उनके परिवार के साथ शिंदे भी मौजूद थे।इस फ़िल्म में ठाकरे और दिघे के आपसी संबंधों को भी दर्शाया गया है।

एकनाथ शिंदे चलाते थे आनंद दिघे की गाड़ी

असल में राजनीति में एक्टिव होने से पहले एकनाथ शिंदे ऑटो चालक थे। शिंदे ठाणे में ऑटो चलाने का काम करते थे। शिंदे ने आंनद दिघे के ड्राइवर के तौर पर भी काम किया है। इसी दौरान दोनों ज्यादातर समय साथ में रहते थे जिसकी वजह से दोनों में नजदीकियां बढ़ गईं। इसके बाद शिंदे को ठाणे में कॉर्पोरेटर (पार्षद) बना दिया। 2004 में शिंदे MLA बने और फिर देखते ही देखते मंत्री भी बन गए और आज भाजपा की मदद से मुख्यमंत्री बनने तक का सफर उन्होंने तय कर लिया।

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